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December 2, 2025 9:43 pm

संविधान, न्यायपालिका और सामाजिक न्याय पर किसी भी प्रकार के हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय बी.आर. गवई पर सुप्रीम कोर्ट के भीतर जूता फेंकने की घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए दलित शोषण मुक्ति मंच, हिमाचल प्रदेश ने कहा कि यह कृत्य आर.एस.एस. और मनुवादी विचारधारा से प्रभावित घटिया मानसिकता का परिणाम है। यह मानसिकता समाज में दलित विरोधी, संविधान विरोधी और न्यायपालिका विरोधी सोच को बढ़ावा देती रही है।
मंच के राज्य संयोजक जगत राम और राज्य सह संयोजक आशीष कुमार ने संयुक्त बयान में कहा कि यह घटना न केवल मुख्य न्यायाधीश पर हमला है, बल्कि संविधान, न्यायपालिका और लोकतंत्र के मूल्यों पर सीधा प्रहार है।
उन्होंने कहा कि दलित समाज से आने वाले मुख्य न्यायाधीश गवई पर खुली अदालत में जूता फेंकना इस बात का प्रमाण है कि मनुवादी ताकतें समानता और सामाजिक न्याय के संवैधानिक विचारों को सहन नहीं कर पा रही हैं। अदालत में “सनातन धर्म के समर्थन” में लगाए गए नारे इस कृत्य की नफरत भरी प्रेरणा को उजागर करते हैं।
दलित शोषण मुक्ति मंच ने कहा कि भाजपा और संघ परिवार के नेताओं द्वारा हाल ही में दिए जा रहे जातिवादी और सांप्रदायिक बयानों ने ऐसी घटनाओं को हौसला दिया है। यह घटना हिंदुत्ववादी ताकतों की असहिष्णुता और लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति अनादर का परिणाम है।
मंच ने मांग की है कि —

1. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में पंजीकृत संबंधित वकील के खिलाफ कठोर और त्वरित कार्रवाई की जाए।

2. केंद्र सरकार मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की सुरक्षा को सुदृढ़ करे।

3. देशभर में मनुवादी और सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

दलित शोषण मुक्ति मंच ने स्पष्ट किया है कि संविधान, न्यायपालिका और सामाजिक न्याय पर किसी भी प्रकार के हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मंच ने सभी लोकतांत्रिक, प्रगतिशील और समानतावादी नागरिकों से इस घटना की कड़ी निंदा करने और न्याय एवं समानता की लड़ाई में एकजुट होने की अपील की है।
जगत राम, राज्य संयोजक
आशीष कुमार, राज्य सह संयोजक
दलित शोषण मुक्ति मंच, हिमाचल प्रदेश