न्यूशिमला स्थित बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण मंदिर (अक्षरधाम) में दीपावली पर्व के बाद मनाया जाने वाला अन्नकूट का उत्सव (छप्पन भोग) आज भक्तिभाव के साथ भक्तों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। अक्षरधाम मंदिर में यह अन्नकूट उत्सव भक्तों-संतों के द्वारा परंपरागत रीति एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है।
बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण संप्रदाय के प्रकट गुरुदेव परम पूज्य महंतस्वामी महाराज के मार्गदर्शन में विश्व भर में स्थापित 1500 से अधिक स्वामिनारायण मंदिरों में अन्नकूट सहित सभी हिन्दू पर्व और त्यौहार भक्तिभाव, भाईचारे और सौहार्द्र के साथ भव्यतापूर्वक मनाए जाते हैं।
सुबह 11 बजे मंदिर में बनाए गए सुंदर गोवर्धन पर्वत के पूजन के साथ उत्सव का प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर शहर और क्षेत्र के गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे। पूज्य जयतीर्थ स्वामी ने अन्नकूट की महिमा और इतिहास पर प्रवचन में यह बताया कि हमारी ये सनातन परम्पराएं और उत्सव आने वाली पीढ़ियों को भी सनातन धर्म एवं अध्यात्म से जुड़े रखने का कार्य करते हैं।
12 बजे मंदिर में भगवान को निवेदित किए गए व्यंजनों को सुंदर रूप से सजाकर भोग के रूप में निवेदित किया गया तथा अन्नकूट की प्रथम आरती सभी भक्तों और संतों द्वारा की गई। इस वर्ष शहर और आसपास के लगभग 300 परिवारों से भगवान की सेवा में भक्तिभाव के साथ 400 व्यंजन का प्रसाद निवेदित किया गया। आरती के साथ कीर्तन और भगवान के भोजन के थाल के कीर्तन भी संतों-भक्तों ने प्रस्तुत किए।
दोपहर 12 बजे से शाम तक प्रत्येक घंटे आरती चलती रही। अंतिम आरती संध्या अपने निर्धारित समय 6.00 बजे की गई। दिन भर दर्शनार्थियों को अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया जाता रहा । प्रथम आरती से ही दर्शनार्थियों का तांता मंदिर में दर्शन के लिए लगा रहा जो संध्या आरती तक चलता रहा।