रायपुरः छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में ”नरवा विकास योजना” से बहुत से कार्य कराए जा रहे हैं. इस योजना के तहत प्रदेश के वन क्षेत्रों में स्थित नालों में कैम्पा मद की वार्षिक कार्ययोजना साल 2019-20 और 2020-21 के भाग- एक और दो के तहत अब तक 30 लाख 60 हजार भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. जबकि 20 लाख 20 हजार संरचनाओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है. प्रदेश के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने खुद इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि इन संरचनाओं के निर्माण से 12 लाख 69 हजार हेक्टेयर भूमि को लाभ मिलेगा.
160 करोड़ 95 लाख स्वीकृत
छत्तीसगढ़ में कैम्पा मद के अंतर्गत साल 2019-20 में 160 करोड़ 95 लाख रूपए की राशि से 1 हजार 829 किलोमीटर लंबाई के विभिन्न नालों में भू-जल संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं. इन संरचनाओं के पूर्ण होने पर 4 लाख 84 हजार 281 हेक्टेयर भूमि उपचारित होगी. इसी तरह साल 2020-21 भाग-एक और दो के अंतर्गत 398 करोड़ 29 लाख रूपए की राशि से 4 हजार 160 किलोमीटर लंबाई के विभिन्न नालों में भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण जारी है. जिनके निर्माण से 7 लाख 85 हजार 146 हेक्टेयर भूमि उपचारित होगी.
इन जिलों में हो रहे लाखों के काम
वहीं विभागीय प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि इनमें वन वृत्तवार वर्ष 2019-20 और 2020-21 भाग- एक और दो के अंतर्गत दुर्ग में 505 किलोमीटर लम्बाई के विभिन्न नालों में 4 लाख 28 हजार 521, बिलासपुर जिले में 1517 किलोमीटर लम्बाई के विभिन्न नालों में 14 लाख 75 हजार 341 भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है. इसी तरह वन वृत्त रायपुर में 847 किलोमीटर लम्बाई के नालों में 4 लाख 89 हजार 449, जगदलपुर में 617 किलोमीटर लम्बाई के नालों में 8 लाख 16 हजार 689, सरगुजा में 1140 किलोमीटर लम्बाई के नालों में 9 लाख 96 हजार 494 और वन वृत्त कांकेर के अंतर्गत 816 किलोमीटर लम्बाई के विभिन्न नालों में 4 लाख 73 हजार 790 एवं वन प्राणी वृत्त के अंतर्गत 547 किलोमीटर लम्बाई के नालों में 4 लाख 00 हजार 312 भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण जारी है.
वहीं इस संबंध में कैम्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि इसके तहत वन क्षेत्रों में स्थित नालों में भू-जल संरक्षण कार्यों के लिए लूज बोल्डर चेकडेम, बोल्डर चेकडेम, ब्रशवुड चेकडेम, कंटूर ट्रेंच, गल्ली प्लग, परकोलेशन टैंक, अर्दन डेम, चेकडेम, एनीकट, स्टापडेम, डाइक, अंडरग्राउंड डाइक और गेबियन आदि संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है. इससे एक ओर वन भूमि के क्षरण को रोका जा सकेगा, वहीं दूसरी ओर जल भण्डार में वृद्धि की जा सकेगी. इसके साथ ही वनों के आसपास के ग्रामीणों तथा कृषकों को पेयजल एवं सिंचाई के साधन विकसित करने में भी काफी मदद मिलेगी.
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