Ajmer: जिले की रहने वाली दिव्यांशी माथुर (Divyanshi Mathur) का ऑस्ट्रेलिया सिडनी (Australia Sydney) की यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए चयन हुआ है. इस रिसर्च को लेकर उन्हें $10000 (7,36,885.00 रुपये) की स्कॉलरशिप (Scholarship) भी मिलेगी.
इस चयन को लेकर दिव्यांशी के साथ ही पूरा परिवार खुश है. दिव्यांशी का कहना है कि भारत (India) में अपार संभावनाएं हैं. लिखित रिसर्च क्षेत्र (Written Research Area) में अभी बहुत कुछ करना बाकी है.
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अजमेर की रहने वाली दिव्यांशी माथुर (Divyanshi Mathur) का चयन क्यू एस वर्ल्ड रैंकिंग में 43 स्थान रखने वाली यूनिवर्सिटी न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी (University of New South Wales) सिडनी ऑस्ट्रेलिया में हुआ है. इसी यूनिवर्सिटी की ओर से दिव्यांशी को $10000 स्कॉलरशिप भी मिलेगी.
बचपन का सपना था बायो टेक्नोलॉजी रिसर्च
दिव्यांशी 4 साल में बायो टेक्नोलॉजी ऑनर्स की डिग्री हासिल करेंगी. बचपन से ही बायोलॉजी की ओर अपना ध्यान आकर्षित करने वाली दिव्यांशी का यह सपना था कि वह बायो टेक्नोलॉजी रिसर्च करेंगी. दिव्यांशी का मानना है कि बायो टेक्नोलॉजी में अपार संभावनाएं हैं और इसमें रिसर्च करने से भविष्य उज्जवल होगा.
रिसर्च के क्षेत्र में भारत में काफी हैं संभावनाएं
कोविड-19 महामारी (Covid-19 pandemic) के दौरान देश विदेश की स्थिति देखने के बाद उन्होंने बायो टेक्नोलॉजी में रिसर्च का फैसला लिया और कड़ी मेहनत और मशक्कत करने के बाद उनका ऑस्ट्रेलिया की टॉप यूनिवर्सिटी में से एक यूनिवर्सिटी में चयन हुआ. उन्होंने कहा कि रिसर्च के क्षेत्र में भारत में काफी संभावनाएं हैं लेकिन इस स्तर के यूनिवर्सिटी यहां कम है. ऐसे में विद्यार्थियों को बाहर जाने को मजबूर होना पड़ता है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में हुए चयन को लेकर काफी खुशी जाहिर की और इसका श्रेय शिक्षकों के साथ ही पिता हेमंत स्वरूप माथुर और माता रुचि माथुर की अपार मेहनत को बताया. वहीं, करियर काउंसलिंग में मदद कर आगे पहुंचाने वाली डेविड राशना का आभार जता रही हैं.
RAS अधिकारी पद पर तैनात दिव्यांशी के पिता
दिव्यांशी के पिता हेमंत स्वरूप माथुर अजमेर में महिला बाल विकास कल्याण विभाग में RAS अधिकारी पद पर तैनात हैं और उनकी माता रुचि माथुर सोफिया कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है दो बेटियों के माता-पिता ने दोनों की परवरिश बेटों की तरह की और इन्हें अपना बेटा माना. पिता हेमंत माथुर ने बताया कि विद्यार्थियों को अपने करियर का फैसला खुद ही करना होता है लेकिन माता-पिता को इसमें काफी मेहनत करने की आवश्यकता है, जिससे कि वह परिवार ही नहीं, देश का भविष्य भी बना सके. अजमेर से ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के बीच का सफर काफी कठिनाइयों भरा रहा लेकिन सभी के प्रयासों से वह सफल हुए और उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटी ऑस्ट्रेलिया में अपना अध्ययन कर भारत और राजस्थान (Rajasthan) में अपनी सेवाएं देंगी.
रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ें भारतीय युवा
अजमेर जैसे शहर में करियर काउंसलिंग कम होने के बावजूद भी दिव्यांशी माथुर वर्ल्ड की 43वीं यूनिवर्सिटी में अपना दाखिला कराने में सफल हुई पर रिसर्च में अपार संभावना बता रही हैं. उनका मानना है कि भारतीय युवा भी रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ें, जिससे कि उन्हें बेहतर मुकाम हासिल हो सके.
Reporter- Ashok singh bhati