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सूखे की मार से मंडी, कुल्लू के किसानों और सेब के बागवानों की चिंता बढ़ी

कुल्लू मंडी हिमदेव न्यूज़ 05 जनवरी 2023: सूखे की मार से मंडी और कुल्लू के जिलों के किसानों और सेब के बागवानों की चिंताएँ बढ़ गई हैं। उन्हें डर है कि सूखे की यह मार दोनों जिलों में न सिर्फ सेब के पौधों को, बल्कि रबी की फसलों को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। सेब के बागों को जीवित रहने और बेहतर उत्पादन के लिए लंबे समय तक ठंडक और नमी की आवश्यकता होती है। ठीक इसी प्रकार रबी की फसलों को भी बेहतर उत्पादन के लिए नमी की आवश्यकता होती है। मंडी और कुल्लू जिलों में, भूमि के एक बड़े हिस्से में सेब की खेती की जाती है, जो कि स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का एकमात्र स्रोत है। मंडी जिला स्थित सेराज घाटी में सेब के बागवान रविंदर सिंह सिसोदिया कहते हैं, “इस मौसम में सूखे की मार चिंता की बड़ी वजह बन चुकी है। इसके कारण अगले वर्ष सेब का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। सेब के पौधों को जीवित रहने के लिए लंबे समय तक ठंडक और नमी की आवश्यकता होती है। सेब की फसल के लिए बर्फ गिरने की तत्काल आवश्यकता है। हम बर्फबारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।” वे आगे कहते हैं, “मौसम में सूखे की मार के कारण, क्षेत्र के किसानों को रबी की फसलों, जैसे- गेहूँ, चना, मटर, सरसों आदि की बुवाई करने में असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।” कुल्लू के एक किसान दलीप ठाकुर कहते हैं, “फसल की पैदावार बेहतर रूप से हो सके, इसके लिए हम मौसमी बारिश पर निर्भर हैं। कुल्लू जिला सेब उत्पादन के लिए जाना जाता है। नवंबर या दिसंबर में शुरुआती बर्फबारी को सेब उत्पादन के लिए बेहद विशेष माना जाता है, क्योंकि यह आवश्यक ठंडक और नमी प्रदान करती है। इसे सेब के बागों के लिए सफेद खाद माना जाता है।” मंडी और कुल्लू में, लोग शुष्क मौसम की मार को समाप्त करने और जल्द ही बर्फबारी और बारिश शुरू होने के लिए देवी-देवताओं से निरंतर प्रार्थना कर रहे हैं।उधर, मंडी विभाग के उप निदेशक संजय कुमार गुप्ता का कहना है कि यदि अगले 10 से 15 दिनों तक मौसम शुष्क रहता है, तो यहाँ के बागवानी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।