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November 21, 2025 9:34 am

नसीब सुरेंद्र शर्मा

जानते हैं सभी ये बात
लिखा है जो नसीब में वही होगा
लिखा है मगर अपना नसीब खुद जिसने
जान लो, वो कभी नहीं रोएगा

नसीब का लिखा मिट नहीं सकता
लेकिन नसीब तो लिख सकते हैं हम अपना
जो होना है वो तो होकर ही रहेगा
लेकिन फर्ज़ तो अदा कर सकते हैं हम अपना

बिन कोशिश रूठ जाता है नसीब
जानी है ये बात, इंसान ने
चांद पर पहुंचना बन गया नसीब
जब कोशिश की इंसान ने

बहती हैं नदियां सदियों से यहां
नहीं बनी बिजली इनसे कभी नसीब से
किए जब जतन इंसान ने हो सका ये चमत्कार भी
देख लो तुम भी इन्हें आकर कभी करीब से

रहता नहीं कुछ एक जैसा
अब थोड़ा आप भी देख लीजिए कुछ बदलकर
कब तक रहेंगे नसीब के भरोसे
तारीख भी वापिस आयेगी मगर साल बदलकर

नसीब को बदल सकते है कर्म
ये बात हमें समझनी ही होगी
है मंज़िल तेरी दूसरे छोर पर अगर
तुझे नदी पार करनी ही होगी

छोड़ दे डर डूबने का
जीत ले मन पानी का
नहीं पड़ेगी नाव की ज़रूरत
सीख ले हुनर तैरने का

चाहता है दिल से अगर
नदियों के रास्ते भी मोड़ सकता है तू
छोड़ अपने नसीब पर रोना
अपना नसीब खुद लिख सकता है तू।