सबकी खबर , पैनी नज़र

LIVE TV

सबकी खबर, पैनी नज़र

सबकी खबर, पैनी नज़र

December 17, 2025 6:33 am

Pitru Visarjan 2021: By which ray of the sun does Gaya offer Shradh to ancestors, know the knowledge of Gita | Pitru Visarjan 2021: सूर्य की किस किरण से गया में मिलता है पितरों को श्राद्ध, जानिए गीता का ज्ञान

Gaya: Pitru Visarjan Last Day: 15 दिन के श्राद्ध और तर्पण के साथ महालया के दिन पितृपक्ष की समाप्ति हो रही है. अतीत और वर्तमान के अचूक मेल वाला यह सनातनी पर्व भारतीय परंपरा की विशेषता है. गया तीर्थ में श्राद्ध का किया जाना महज एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह वैज्ञानिक क्रिया भी है. इसमें ज्योतिष, आयुर्वेद और योग की प्रक्रिया भी शामिल है. पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से ज्योतिष के पितृ दोष और नाड़ी दोष का निदान होता है. यह बात हवा-हवाई नहीं है, बल्कि इसके पीछे नाड़ी तंत्र का पूरा विज्ञान भी है.  

दरअसल, सुषुम्ना नाड़ी, हम मनुष्यों के शरीर तंत्र में सबसे महत्वपूर्ण है. इसका संबंध सूर्य से माना गया है. इसी के द्वारा पितृ पक्ष में श्राद्ध किया जाता है. इसी नाड़ी के द्वारा श्रद्धा नाम की सूर्य किरण मध्यान्ह काल में पृथ्वी पर प्रवेश करती है और यहां से पितृ के भाग को लेकर चली जाती है. यही वजह है जो पितृ पक्ष में तर्पण को इतना अधिक महत्व दिलाती है. इस विषय को लेकर गीता में श्रीकृष्ण ने भी कहा है-

अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम् .
पितृणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम् ॥29॥

इस श्लोक का अर्थ है कि हे धनंजय! संसार के विभिन्न नागों में मैं शेषनाग और जलचरों में वरुण हूं, पितरों में अर्यमा तथा नियमन करने वालों में यमराज हूं. इस प्रकार अर्यमा को भगवान श्री कृष्ण द्वारा महिमामंडित किया गया है.

ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः.
ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय.

इस श्लोक का अर्थ है कि सभी पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ हैं. अर्यमा ही सभी पितरों के देव माने जाते हैं. इसलिए अर्यमा को प्रणाम. हे पिता, पितामह, और प्रपितामह. हे माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम. आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें. इसलिए वैशाख मास के दौरान सूर्य देव को अर्यमा भी कहा जाता है.

सर्वास्ता अव रुन्धे स्वर्ग: षष्ट्यां शरत्सु निधिपा अभीच्छात्.

अथर्ववेद में अश्विन मास के दौरान पितृपक्ष के बारे में कहा गया है कि शरद ऋतु के दौरान जब छोटी संक्रांति आती है अर्थात सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है तो इच्छित वस्तुओं में पितरों को प्रदान की जाती हैं, यह सभी वस्तुएँ स्वर्ग प्रदान करने वाली होती है.

अर्यमा नाम की किरण के साथ होता है श्राद्ध
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक की अवधि के दौरान पितृ प्राण ऊपरी किरण अर्थात अर्यमा के साथ पृथ्वी पर व्याप्त होते हैं. इन्हें महर्षि कश्यप और माता अदिति का पुत्र माना गया है और देवताओं का भाई. इसके अतिरिक्त उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र इनका निवास स्थान माना गया है. कुछ स्थानों पर इन्हें प्रधान पितृ भी माना गया है. यदि यह प्रसन्न हो जाएं तो पितरों की तृप्ति हो जाती है इसी कारण श्राद्ध करते हुए इनके नाम को लेकर जल दान किया जाता है.

 

Source link