Jaipur: राजस्थान की जेलों (prisons) में मरने वाले बंदियों (prisoners) के परिजनों को अलग-अलग मुआवजा राशि (Compensation amount) दी जा रही है. इधर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश के बाद राज्य सरकार हिरासत में मौत पर दिए जाने वाले मुआवजा राशि में एकरूपता लाने की नई यूनिफॉर्म पॉलिसी (Uniform Policy) बनाने की तैयारी कर रही है.
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प्रदेश (Rajasthan) की जेलों में होने वाली बंदियों की मौत पर मुआवजा देने का प्रावधान है. बंदी की मौत पर कोर्ट या फिर मानवाधिकार आयोग (Human rights commission) की ओर से दिए मुआवजा दिए जाने के आदेश जारी किए जाते हैं. इसमें बंदी की मौत होने पर मुआवजे के तौर पर एक लाख, दो लाख, तीन लाख या पांच लाख रुपये तक दिए जाते हैं. इसमें कैदियों की मौत (Death) एक समान तरीके से होने के बाद भी अलग-अलग मुआवजा दिया जा रहा है. दरअसल सरकार जेलों में कैदियों की अप्राकृतिक मौत (Unnatural death) होने पर परिजनों को मुआवजा देती है. कैदियों के बीच लड़ाई या जेल स्टाफ की प्रताड़ना से अगर कैदी की मौत होती है तो उसके लिए अलग और आत्महत्या (suicide) के मामले में अलग सहायता राशि (Relief fund) सरकार की ओर से परिजनों को दी जाती है. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) ने देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिव से इस पूरे मामले पर जवाब भी मांगा था.
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जेल में कैदियों के बीच लड़ाई, जेल स्टाफ की प्रताड़ना, जेल और पैरामेडिकल स्टाफ (paramedical staff) की लापरवाही से कैदी की मौत होती है. इसके अलावा जेलों में बंदी विभिन्न कारणों से आत्महत्या भी कर लेते हैं. ऐसे में जेल में होने वाली मौतों के मामले में अलग-अलग मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट व मानवाधिकार आयोग ने जेल में कैदी की एक ही मौत पर अलग-अलग क्षतिपूर्ति राशि (compensation amount) पर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जेल में मौत पर दी जाने वाली मुआवजा राशि में एकरूपता के लिए आदेश जारी किए है.
इसके बाद गृह विभाग (Home department) के प्रमुख सचिव अभय कुमार (Abhay Kumar) ने वीसी के जरिए बैठक बुलाई और इसमें जेल में बंदियों की मौत के मुआवजे के लिए नई यूनिफॉर्म पॉलिसी बनाने पर सुझाव मांगे. बैठक में जेल डीजी और गृह विभाग के अधिकारी शामिल हुए. यदि राजस्थान बंदियों की मौत पर मुआवजे की यूनिफॉर्म पॉलिसी बनाता है तो हरियाणा के बाद दूसरा राज्य होगा. बैठक में आए सुझाव के बाद नई पॉलिसी का ड्रॉफ्ट मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा.
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नई पॉलिसी में जेल के अधीक्षक को कैदी की मृत्यु की विस्तृत रिपोर्ट, न्यायिक जांच रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट (post mortem report), मृत्यु के कारणों की अंतिम रिपोर्ट देनी होगी. जेल में प्रवेश के समय की मेडिकल हिस्ट्री और चिकित्सा उपचार का विवरण सहित सभी आवश्यक दस्तावेज के साथ लगाने होंगे उसके बाद जेल डीजी दस्तावेजों की सत्यता जानने के बाद सरकार को केस भेजेंगे. सरकार ने गृह विभाग के सचिव, विशेष सचिव को नीति के तहत मुआवजा राशि स्वीकृत करने के लिए अधिकृत किया है।
प्रतिकात्मक तस्वीर.