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December 2, 2025 2:08 pm

एचआरटीसी सेवानिवृत कर्मचारी सरकार से मांग कर रहे हैं, पेंशन और मेडिकल बिलों का भुगतान समय पर किया जाये:डॉ राजीव बिंदल

शिमला, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि हम हिमाचल की कांग्रेस सरकार से मांग करते है कि एचआरटीसी के सेवानिवृत कर्मचारी, जो उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुँच चुके हैँ उन्हें बिना किसी भेदभाव के पेंशन और मेडिकल बिलों का भुगतान समय पर किया जाये। जब से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है तब से हर वर्ग और खासकर कर्मचारी वर्ग बुरी तरह से परेशान है। उन्होंने कहा कि एचआरटीसी पेंशनर सेवानिवृत्त कर्मचारी नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लंबे समय से लगातार यह वर्ग हिमाचल प्रदेश में प्रदेश सरकार का सताया हुआ एक बड़ा वर्ग है। हमारा आरोप है कि सरकार उनके साथ वित्तीय भेदभाव कर रही है और लंबित एरियर और अन्य लाभ नहीं मिले हैं।
उन्होंने कहा की राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े उपक्रम हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की वित्तीय हालत खराब हो गई है। निगम से सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। वर्ष 2024 से लेकर अभी तक सेवानिवृत हुए करीब 250 कर्मचारियों व अधिकारियों को अभी तक पेंशन लगना तो दूर, ग्रेच्युटी व अर्जित अवकाश (लीव इनकैशमेंट) का पैसा भी नहीं मिला है। सालों तक निगम में सेवाएं देने के बादकर्मचारी अब परेशान हैं व निगम कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। निगम प्रबंधन हर बार उन्हें खराब वित्तीय हालत का तर्क देकर आश्वासन देता है और वापस भेज देता है। एचआरटीसी का संचित घाटा बढ़कर 2200 करोड़ हो गया है। लोन और ओवरड्राफ्ट भी हर साल बढ़ता जा रहा है। एचआरटीसी में अभी 10853 कर्मचारी काम कर रहे हैं। 2023 में 31 मार्च तक एचआरटीसी का कुल घाटा 1966 करोड़ था। कंपनी का नुकसान 2024-2025 फाइनेंशियल ईयर में ₹2,200 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2023-2024 में हुए ₹2,119 करोड़ के नुकसान से थोड़ा ज़्यादा है।
हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी की इलेक्ट्रिकल बसें विभाग को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रही हैं। इन बसों में यात्रा करना न कोई पसंद कर रहा है और न ही यह बसें ज्यादा चल पा रही हैं। आलम यह है कि जो बसें खराब हुई हैं, उन्हें काफी समय से ठीक तक नहीं किया गया है। इन बसों के कलपुर्जे ही नहीं मिल रहे हैं। इन वाहनों को चलाने वालेचालकों का भी कहना है कि यदि अधिक चढ़ाई हो, तो ये बसें सडक़ में ही रुक जाती हैं।