सबकी खबर , पैनी नज़र

सरकार, पर्यावरणविद और प्रकृति प्रेमी लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है

शिमला हिमदेव न्यूज़ 21 सितंबर, 2022: सरकार, पर्यावरणविद और प्रकृति प्रेमी लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही हैं इसी प्रयास के तहत पर्यावरण की सुरक्षा और ऊर्जा स्थिरता सनिुश्चित करने के लिये ऊर्जा स्वराज यात्रा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला पहुंची। यह यात्रा जलवायु परिवर्तन को कम करने और वकैल्पिक प्राकृतिक संसाधनों के बारे में लोगों को शिक्षित करने का अनूठा प्रयास है। ऊर्जा स्वराज आंदोलन गांधीवादी विचारधाराओं पर आधारित है। देश के कोने-कोने में रहने वाले आम लोगों के बीच ऊर्जा सम्बंधित जागरूकता को बढ़ावा देना इस आंदोलन का उद्देश्य है। यह यात्रा, ऊर्जा स्वराज सौर बस के माध्यम से नवंबर 2020 में शरूु हुई। स्वराज यात्रा का अर्थ है स्वशासन सफ़र। इसकी शरुुआत लोगों के बीच
जागरूकता बढ़ाने और उन्हें इस आंदोलन में शामिल करने के मिशन के साथ शरूु हुई। इस आंदोलन के जनक, प्रो. सोलंकी जी ने, बुधवार 21 सितंबर 2022 को छात्रों के साथ “”जलवायु परिवर्तन एनर्जी
स्वराज और मैं” विषय पर बातचीत की। चेतन सिहं सोलंकी, जिन्हें आई आई टी बॉम्बे के प्रोफेसर के रूप। में जाना जाता है, उन्होंने, वैश्विक स्तर पर इस संकट से निपटनेके लिए ऊर्जा उपयोग में”कठोर और तत्काल” कदम उठाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। चेतन सिहं सोलंकी जी को भारत के ‘सौर गांधी/सौर
परुुष’ के रूप में भी जाना जाता है। प्रो. सोलंकी तीन-चरणीय दृष्टिकोण को अपनाने की सलाह दी , १)
जितना हो सके ऊर्जा के प्रयोग से बचें। २) कम से कम ऊर्जा उपभोग का प्रयास करें। ३) उपकरणों के माध्यम से भी ऊर्जा उपभोग को कम करना। स्थानीय रूप से ऊर्जा उत्पन्न करने के प्रयासों पर उन्होनें
ज़ोर दिया। प्रो. सोलंकी वर्तमान में आई आई टी बॉम्बे से अवतैनिक अवकाश पर हैं, और ऊर्जा स्वराज के संस्थापक हैं। उन्होंने’सौर बस’’ द्वारा 11 साल लंबी (2020-2030), ऊर्जा स्वराज यात्रा शरूु की है। प्रो.सोलंकी का ‘मोबाइल होम’, 3.2 kW के सोलर पनलै और 6 kWh की बैटरी सेल से है। इसमें 3 के वी ए
का इनवर्टर भी है। बस डीजल पर चलती है, लेकिन सभी लाइटें, कूलर, चल्हा, और इसके अदरं के अन्य उपकरण सौर ऊर्जा से संचालित होते हैं। प्रो. सोलंकी ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के
कुलपति श्री सत प्रकाश बंसल जी के साथ भी बठकै की और जलवायु परिवर्तन की वर्तमान स्थिति के संबंध में और आगे क्या संभावित कदम उठाए जा सकते हैं, इस विषय पर चर्चा की। प्रो (डॉ.) पी. एल. शर्मा
निदेशक, विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी संस्थान
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला