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UP Election 2022: Yogi Adityanath includes 7 new Ministers in Cabinet to cast balancing act | UP Election 2022: क्या ‘जात-पात’ से जनादेश मिलेगा? 7 सारथी पक्की कराएंगे BJP की सत्ता वापसी?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में रविवार (26 सितंबर) को योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसमें 7 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. इसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या साल 2022 के विधान सभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में ‘जात-पात’ से जनादेश मिलेगा? ये सवाल इसलिए, क्योंकि योगी कैबिनेट विस्तार में इसका खास ख्याल रखा गया है. कहा जा रहा है कि सीएम योगी ने 2022 के विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल का विस्तार किया है और इसीलिए विपक्षी दलों में बेचैनी बढ़ गई है.

योगी सरकार में शामिल हुए ये 7 मंत्री

यूपी में बीजेपी हर वो फॉर्मूला अपना रही है, जो उसे 2022 में फिर से सत्ता की कुर्सी दिला सके और विपक्षी दलों की परेशानी बढ़ा सके. इसी के तहत यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में 7 नए मंत्री शामिल किए गए हैं. विधान सभा चुनाव से कुछ महीने पहले किए गए कैबिनेट विस्तार में बीजेपी ने सभी जातियों का पूरा ध्यान रखा है. शपथ लेने वाले नए मंत्रियों में जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखते हैं, जबकि पलटू राम और दिनेश खटिक अनुसूचित जाति के और संजीव कुमार गोंड अनुसूचित जनजाति के हैं. इसके अलावा छत्रपाल गंगवार, धर्मवीर प्रजापति और संगीता बलवंत पिछड़े वर्ग से आते हैं.

जितिन प्रसाद ने किया सत्ता में वापसी का दावा

दरअसल कैबिनेट विस्तार के जरिए बीजेपी उन जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश में है, जिनका सियासी फायदा मिल सकता है. कैबिनेट मंत्र बनाए जाने के बाद जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) ने दोबारा सत्ता वापसी का दावा भी कर दिया.

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क्या 2022 में ‘जात-पात’ से जनादेश मिलेगा?

अब सवाल ये कि यूपी में 2022 में क्या ‘जात-पात’ से जनादेश मिलेगा? योगी कैबिनेट का विस्तार जरूरी या चुनावी मजबूरी? कैबिनेट विस्तार के बाद योगी सरकार में कुल 60 मंत्री हो चुके हैं और जातिगत समीकरण के हिसाब से देखें तो ओबीसी कोटे से 22 मंत्री, 10 ब्राह्मण मंत्री, एससी/एसटी से 9 मंत्री हैं. इसके अलावा योगी मंत्रिमंडल में 7 ठाकुर, 5 वैश्य, 3 खत्री (पंजाबी), 2 भूमिहार, 1 कायस्थ और 1 मुस्लिम मंत्री हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार पर विपक्ष का तंज

विपक्ष ने योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर तंज कसते हुए कहा है कि विधान सभा चुनाव में हार के डर से की गई सत्तारूढ़ पार्टी की ये कवायद उसके किसी काम नहीं आएगी. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने योगी कैबिनेट के विस्तार को एक छलावा बताया है.

अखिलेश यादव ने कहा, ‘यूपी की बीजेपी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार भी एक छलावा है. साढ़े चार साल जिनका हक मारा, आज उनको प्रतिनिधित्व देने का नाटक रचा जा रहा है. जब तक नए मंत्रियों के नामों की पट्टी का रंग सूखेगा, तब तक तो 2022 चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी. भाजपाई नाटक का समापन अंक शुरू हो गया है.’ वहीं AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यूपी में ठाकुरों, ब्राह्मणों, यादवों, अनुसूचित जातियों का एक बड़ा नेता जरूर है, लेकिन मुसलमानों का कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जो उनके की हक की बात करता हो.

यूपी में जातिगत समीकरण

यूपी में ब्राह्मणों का 12 प्रतिशत वोट है, जबकि ओबीसी का करीब 36 प्रतिशत और दलितों का 21 प्रतिशत वोट है. साफ है कि ब्राह्मण वोट बैंक को बीजेपी के ही पाले में रखने की कोशिश के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट विस्तार से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक को भी साधने की कोशिश की है. अब योगी ये फॉर्मूला 2022 में कितना काम आएगा, ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे.

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