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3 october celebrated as germany unity day, indo german friendship showed through painting says walter j lind | भारत और जर्मनी की दोस्ती के प्रतीक चिन्ह का अनावरण, जानें क्यों चुनी गई आज की तारीख

नई दिल्ली: ‘जर्मन यूनिटी डे’ के मौके पर दिल्ली (German Unity Day 2021 in Delhi) के पहाड़गंज में भारत और जर्मनी की दोस्ती (Indo-German Friendship) के प्रतीक के तौर पर बनाई गई पेंटिंग का उद्घाटन हुआ. इस आयोजन के दौरान भारत मे जर्मनी के राजदूत Walter J. Lindner  भी मौजूद रहे. आपको बता दें कि 3 अक्टूबर को जर्मनी के लोग जर्मन यूनिटी डे के तौर पर मनाते हैं. 

ज़ी न्यूज़ से खास बातचीत

ज़ी न्यूज़ से बातचीत के दौरान जर्मनी के राजदूत Walter J. Lindner ने कहा कि पहाड़गंज में शीला थिएटर के नजदीक बनाई गई इस पेंटिंग का मकसद यही है कि आम लोग भी इसे देख सकें. गौरतलब है कि दिल्ली का पहाडगंज राजधानी के व्यस्ततम इलाकों में से एक है.

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टूटी थी बर्लिन की दीवार

तीन अक्टूबर 1990 के दिन लाखों की तादाद में लोगो ने  बर्लिन दीवार को टूटते देखा. ये पहला मौका था जब एक विभाजित देश शांतिपूर्ण तरीके से एक जनांदोलन के जरिये एक हुआ था. देखा जाए तो 13 अगस्त 1961 की आधी रात के बाद पूर्वी जर्मन सैनिकों ने पूर्वी बर्लिन के इस हिस्से को कंटीले तार और पत्थरों के जरिए देश को दो हिस्सों में बांट दिया गया था.

जर्मनी के दो भागों में बांटने के बाद इस घटनाक्रम के विरोध में दमकर प्रदर्शन हुए थे. बर्लिन के लोगों ने शहर के दूसरे हिस्से में रहने वाले अपने दोस्तों और परिवारों से खुद को अलग जब पाया तो इस दीवार के पास जमकर हंगामा भी हुआ था.

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10 फीट बढ़ाई गई थी उंचाई

एक वक्त ऐसा भी आया जब इधर से उधर लोगों को भागने से रोकने के लिए बर्लिन दीवार की ऊंचाई 10 फ़ीट तक बढ़ा दी गई. साल 1980 आते आते जर्मनी के लोगो का गुस्सा इस दीवार को लेकर बढ़ने लगा था और फिर 9 नवंबर 1989 के दिन से पूर्वी और पश्चमी जर्मनी के लोगों ने दीवार पर चढ़ना शुरू कर दीवार को तोड़ने लगे. 3 अक्टूबर 1990 को जैसे ही यह दीवार टूटी उसी समय ईस्ट जर्मनी और वेस्ट जर्मनी दोनों एक हो गए.

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