



धर्मशाला, जिसमें मुख्यवक्ता के रूप में प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कटवाल उपस्थित रहे। उनके साथ प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर एवं ज़िला अध्यक्ष रागिनी रुकवाल उपस्थित रहे।
संजीव ने बताया कि महिला मोर्चा ने इस सम्मेलन के दौरान नशा मुक्त हिमाचल का संकल्प लिया और हर बूथ एवं शक्ति केंद्र पर नशे के खिलाफ एक जोरदार अभियान चलाने की रणनीति तैयार की महिला मोर्चा नशा मुक्त हिमाचल में अग्रिम भूमिका निभाएगा। महिलाएं समाज में व्यक्ति निर्माण को लेकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इस अभियान को भी तेज गति से आगे बढ़ाएगी।
उन्होंने कहा की यह दिवस मनाने की परंपरा के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस कालखंड में नारी समुदाय ने अभूतपूर्व प्रगति की है। स्वावलंबी, स्वाभिमानी, स्वतंत्र और सशक्त नारी के बल पर ही विकसित भारत का निर्माण हो सकता है। विकसित भारत का संकल्प हम सब का संकल्प है, जिसे हम सभी को मिलकर पूरा करना है। संजीव ने कहा कि देश की नारी शक्ति राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त बने और विकसित भारत के हमारे संकल्प को नेतृत्व प्रदान करे, इसके लिए भारत सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रविधान उनके राजनीतिक सशक्तीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। सरकार की महिला केंद्रित योजनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ये सभी प्रयास विभिन्न स्तरों पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर रहे हैं और उन्हें जीवन में नई ऊंचाइयां छूने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हमारी बेटियां विकसित भारत के सपने को साकार करने में अपना पूरा योगदान दे सकें, इसके लिए जरूरी है कि समाज उन्हें आगे बढ़ने के लिए और भी अच्छा वातावरण प्रदान करे। उन्हें एक ऐसा वातावरण मिलना चाहिए, जिसमें वे बिना किसी दबाव या भय के अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र निर्णय ले सकें। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने आह्वान किया कि हमें एक ऐसे आदर्श समाज का निर्माण करना है, जहां कोई भी बेटी या बहन किसी भी समय, कहीं भी अकेले जाने में और कहीं भी रहने में डरे नहीं, हिमाचल की कानून व्यवस्था तो आपको मालूम ही है। हम महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव ही भयमुक्त सामाजिक वातावरण का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि यह भी एक कटु-सत्य है कि कुछ सामाजिक पूर्वाग्रह, रीति-रिवाज और प्रथाएं महिलाओं की प्रगति में बाधक रही हैं। इसमें महिलाओं को कम करके आंकने वाली मानसिकता का दोष है।